अब नहीं चलेगी पुरानी चाल, जमीन खरीद-बेच में कड़े नियम लागू! New Land Purchase Rules

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अब नहीं चलेगी पुरानी चाल, जमीन खरीद-बेच में कड़े नियम लागू! New Land Purchase Rules

New Land Purchase Rules: अब जमीन की खरीद-बेच में पारदर्शिता और सुरक्षा के लिए सरकार ने सख्त कदम उठाए हैं। हाल ही में लागू किए गए नए नियमों के तहत अब कोई भी व्यक्ति फर्जी दस्तावेजों या गुमराह करने वाली जानकारी से जमीन का सौदा नहीं कर सकेगा। जमीन की रजिस्ट्री, म्यूटेशन और बिक्री से जुड़े सभी दस्तावेजों की जांच अब डिजिटल तरीके से की जाएगी और इसमें जरा सी भी गड़बड़ी पर तुरंत कार्रवाई की जाएगी। सरकार का उद्देश्य है कि बेनामी संपत्तियों, धोखाधड़ी और जमीन विवादों पर पूरी तरह से रोक लगाई जा सके और आम जनता को निष्पक्ष सौदे का अधिकार मिल सके।

दस्तावेजों की अनिवार्यता

अब जमीन की खरीद-बेच के लिए जरूरी दस्तावेजों की सूची को और कड़ा कर दिया गया है। किसी भी जमीन की रजिस्ट्री अब बिना वैध खसरा-खतौनी, जमाबंदी, एनओसी और स्वामित्व प्रमाण पत्र के नहीं हो सकेगी। इसके साथ ही यह भी तय किया गया है कि विक्रेता को अपने नाम दर्ज भू-अभिलेखों की वैधता भी प्रमाणित करनी होगी। अगर कोई भी दस्तावेज फर्जी पाया गया तो पूरी रजिस्ट्री को रद्द कर दिया जाएगा और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी। यह नियम खरीदार और विक्रेता दोनों की जिम्मेदारी तय करता है कि सौदे में कोई अनियमितता न हो।

डिजिटल वेरिफिकेशन अनिवार्य

नई व्यवस्था में जमीन से जुड़े सभी दस्तावेजों को डिजिटल प्लेटफॉर्म से वेरिफाई किया जाएगा। अब किसी भी भूमि की रजिस्ट्री से पहले दस्तावेजों की स्कैनिंग और उनके सरकारी रिकॉर्ड से मिलान अनिवार्य कर दिया गया है। इसके लिए भूमि रिकार्ड्स को डिजिटाइज कर भू-स्वामित्व की जानकारी को ऑनलाइन पोर्टल से जोड़ा गया है। खरीदार जमीन का नक्शा, स्वामित्व और वैधता अब अपने मोबाइल या कंप्यूटर से घर बैठे जांच सकता है। इस डिजिटल वेरिफिकेशन से धोखाधड़ी की संभावना लगभग खत्म हो जाएगी और जनता को सुरक्षित निवेश का माहौल मिलेगा।

बायोमैट्रिक पहचान जरूरी

अब जमीन की रजिस्ट्री प्रक्रिया में बायोमैट्रिक पहचान को भी अनिवार्य कर दिया गया है। यानी जमीन बेचने और खरीदने वाले दोनों पक्षों की अंगुलियों और चेहरे की पहचान की जाएगी और इसे ई-रिकॉर्ड में दर्ज किया जाएगा। इससे यह सुनिश्चित होगा कि रजिस्ट्री करने वाला व्यक्ति वही है जो दस्तावेज़ों में नामित है। साथ ही इस प्रणाली से दलालों और फर्जी एजेंटों की भूमिका खत्म होगी। बायोमैट्रिक सिस्टम से यह भी तय होगा कि कोई व्यक्ति अपनी जानकारी के बिना उसकी जमीन बेचने की कोशिश न कर सके, जिससे संपत्ति सुरक्षा को नया आयाम मिलेगा।

म्यूटेशन की पारदर्शिता

जमीन बेचने के बाद म्यूटेशन यानी नामांतरण की प्रक्रिया को भी पूरी तरह से पारदर्शी और समयबद्ध किया गया है। अब जमीन की रजिस्ट्री होते ही संबंधित विभाग स्वतः म्यूटेशन की प्रक्रिया शुरू करेगा, जिससे खरीदार को बार-बार कार्यालयों के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे। पहले जहां म्यूटेशन में महीनों लग जाते थे, वहीं अब तय सीमा में ऑनलाइन प्रक्रिया के जरिए नए मालिक का नाम दर्ज कर दिया जाएगा। इस प्रक्रिया को भी आधार और मोबाइल नंबर से लिंक कर दिया गया है ताकि कोई भी व्यक्ति गलत जानकारी देकर म्यूटेशन न करा सके।

एक ID, एक Plot

सरकार अब ‘एक व्यक्ति, एक प्लॉट आईडी’ नियम पर भी काम कर रही है। इसके तहत हर जमीन के टुकड़े को एक यूनिक आईडी दी जाएगी और उसे उस जमीन के मालिक के नाम से डिजिटल रूप से लिंक किया जाएगा। इससे फर्जी बिक्री, एक ही प्लॉट को दो बार बेचने और गलत नामांतरण जैसे मामलों पर लगाम लगेगी। हर खरीदार और विक्रेता का एक डिजिटल प्रोफाइल बनेगा जिसमें उनके द्वारा की गई सभी जमीन से जुड़ी गतिविधियाँ रिकॉर्ड की जाएंगी। यह सिस्टम देशभर के सभी राज्यों में एकीकृत ढंग से लागू किया जाएगा।

बेनामी संपत्ति पर वार

नए नियमों के तहत बेनामी संपत्तियों के खिलाफ सरकार ने बड़ी कार्रवाई का ऐलान किया है। अब यदि कोई व्यक्ति अपनी जमीन किसी और के नाम पर दर्ज करता है लेकिन उपयोग खुद करता है, तो उसे बेनामी संपत्ति माना जाएगा। इस स्थिति में सरकार उस संपत्ति को जब्त कर सकती है और दोषी को जेल भी हो सकती है। यह नियम खासकर उन लोगों पर लागू होगा जो टैक्स से बचने या कानून से बचने के लिए अपनी जमीनें किसी रिश्तेदार या कर्मचारी के नाम पर दर्ज कराते हैं। अब इस तरह की चालें नहीं चलेंगी और सभी को अपनी जमीन का वैध विवरण देना होगा।

राज्य स्तर पर निगरानी

इस पूरे बदलाव को राज्य सरकारों ने गंभीरता से लागू करना शुरू कर दिया है। प्रत्येक जिले में स्पेशल लैंड मॉनिटरिंग सेल बनाई जा रही है जो हर रजिस्ट्री और म्यूटेशन की जांच करेगी। साथ ही अधिकारियों को आदेश दिया गया है कि वे हर शिकायत को 15 दिन के भीतर हल करें और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करें। जिन राज्यों में अब तक भूमि विवादों की संख्या अधिक रही है, वहां पर विशेष सतर्कता बरती जा रही है। सरकार का मकसद है कि जनता को पारदर्शी और सुरक्षित भूमि लेन-देन प्रणाली प्रदान की जाए।

अस्वीकृति

यह ब्लॉग पोस्ट भूमि अधिग्रहण, रजिस्ट्री और बिक्री से संबंधित हालिया सरकारी नियमों एवं अधिसूचनाओं के आधार पर तैयार की गई है। इसमें दी गई जानकारी केवल सूचना हेतु है, जिसे समय-समय पर संबंधित राज्य सरकारें या केंद्र सरकार बदल सकती हैं। पाठकों को सलाह दी जाती है कि किसी भी जमीन की खरीद या बिक्री से पहले संबंधित तहसील, पंजीयन कार्यालय या आधिकारिक पोर्टल से अद्यतन जानकारी जरूर प्राप्त करें। इस लेख का उद्देश्य केवल जनहित में जानकारी देना है, इसे कानूनी या वित्तीय सलाह के रूप में न लें। लेखक और प्रकाशक किसी नुकसान के लिए उत्तरदायी नहीं होंगे।

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